Friday, October 4, 2019



हाइकू: मैके को छोड़



बिटिया चली
पी की गली फिर से
मैके को छोड़।

बाबा से बोले
जाना नहीं हमको
मैके को छोड़।

सासु हैं माँ सी
पर रह न पाती
मैके को छोड़।

भोर से काम
न मिलता आराम
मैके को छोड़।

चूल्हा फुकनी
सासू माँ सी धुकनी
मैके को छोड़।

मैके की याद
ननदी का प्रेम पा
मैके को छोड़।

झूला भी छूटा
अंगना भी रूठा है
मैके को छोड़ ।

संबंधी याद
आँखों में आस आज
मैके को छोड़ ।

हाइकू



कुसुम खिले
उपवन महके
मन चहके।

परागकण
ले डोलें तितलियां
पुष्प पुष्प पे।

प्रेम टपके
आनंदित हो मन
खिले पुष्प सा।

खेल खेलता
नटखट बालक
लगे पुष्प सा।

घर आँगन
सुगंध भर जाए
सावन आये।

गीली घरती
पीले टेसू सी खिल 
हर्ष मनाए।

जीव पुष्प सा
तब बनता जब
आत्मा खुशबू।

नन्ही कलियाँ
जल्दी जल्दी बढ़ती
कांधे चढ़ती।

हाइकू



हर्षित मन
बहुत दिनों बाद
मित्र है साथ।

मन विह्वल
बहुत रहा मेरा
देख समाज।

जातिवाद की
चौखट पर खड़ा
फिर चुनाव।

लड़ेंगे फिर
चुनाव आया भाई 
पड़ी खटाई।

हाइकू: शिवरात्रि



मैं नटराज
करने को कल्याण
सबके साथ।

मेरी बारात
में आवें सब साथ
लाने माँ आज।

नंदी गण भी
सजे और सजाएं
खुश हैं आज।

नैनों ही नैनों 
होती है बात आज
उमा के साथ।

भस्म रमी है
अंग अंग प्रसन्न
भोले हैं संग।

हाइकू: जीवन


धूप छांव है
जीवन, पथ पर
चलता रहे।

जैसी हो राहें
तू बस उसी भांति
ढलता रहे।

प्रभु है साथ
बस यह विश्वास 
पलता रहे।

हारे कभी न
तू हो सदा विजयी
फलता रहे।

जीवन दिया
माने न हार कभी
जलता रहे।

हाइकू :लज्जा


लज्जा नहीं है
कपड़े सही हैं क्या
दुपट्टा नहीं।

अर्धांगिनी पर हाइकू


समर्पित हूँ
बिना किसी संकोच
मैं अर्धांगिनी।

घर मेरा है
परिवार मेरा है
पर अकेली।

बच्चे मेरे हैं
तुम सदा मेरे हो
बिना सहेली।

सबके साथ
भीड़ में मैं भटकी
खाली हथेली।

जीवन गाथा
बूझी ना जाये अब
कैसी पहेली।
विद्यालय पर हाइकू



1।

प्रथम कक्षा
गर्मी की चिपचिप
बच्चों से प्यार।

2।

यूनिट टेस्ट
छुट्टियों के बाद है
मन बेहाल।

3।

पढ़ पढ़ के
हुआ बुरा हाल है
बच्चे कमाल।
चुनाव पर हाइकू



रोता है मन
आज देख हालात
हुए बेबात।

नेता नगरी
चुनावी कार्यकाल
होता बवाल।

भा जा पा, स पा
कांग्रेस से है ख़फ़ा 
कैसे हो वफ़ा।

कौन जीतेगा
सब लगाए दांव
सबके उल्टे पांव।

सावन पर हाइकू


सावन आया
ले बरखा बादल
बिन साजन।

हरियाली है
छा रही चारों ओर
नाचते मोर।

भीगी धरती
बोले मन की पीर
नहीं है धीर।

पहली बूंदें
अब सिक्त धरा है
हरा भरा है।

बिटिया रोई
है सुध बुध खोई
याद सताये।

सावन माह
जब बिटिया आये
अम्मा हर्षाये।
शिव पर हाइकू



हे अभ्यंकर
अब तारो जग को
शिव शंकर।

हे रुद्र रूप
अब आओ संभालो
सकल भूप।

फैला संताप
भू पे बहता पाप
हरो ये ताप।

आरति थाल
लिए मैं आई द्वार
करो स्वीकार।